परिचय
वित्त वर्ष 2025 में, भारत ने केले को अपने सबसे अधिक निर्यात किए जाने वाले फल के रूप में स्थापित किया, जिसने अंगूर को पीछे छोड़ दिया। यह उपलब्धि उल्लेखनीय है, क्योंकि वित्त वर्ष 2018 की तुलना में केले के निर्यात में सात गुना वृद्धि हुई है। भारतीय केले न केवल घरेलू मांग को पूरा कर रहे हैं, बल्कि मध्य पूर्व में केले के हलवे और कुकीज़ जैसे उत्पादों में भी अपनी जगह बना रहे हैं।


निर्यात में वृद्धि
वित्त वर्ष 2025 में, भारत के केले के निर्यात का मूल्य $377.5 मिलियन तक पहुंच गया, जिसमें साल-दर-साल (YoY) 29.7% की वृद्धि दर्ज की गई। यह वृद्धि वित्त वर्ष 2018 की तुलना में सात गुना है, जब निर्यात मूल्य केवल $53.93 मिलियन था। इसकी तुलना में, इसी अवधि में अंगूर के निर्यात में केवल 16% की वृद्धि हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय केले की कम
मांग और आपूर्ति का विश्लेषण
भारत के केले के निर्यात में मांग और आपूर्ति की गतिशीलता को समझने के लिए, निम्नलिखित आंकड़े महत्वपूर्ण हैं। वित्त वर्ष 2018 से 2025 तक, निर्यात मूल्य $53.93 मिलियन से बढ़कर $377.5 मिलियन हो गया। अनुमानित निर्यात मात्रा भी 0.5 लाख टन से बढ़कर 3.4 लाख टन हो गई। यह दर्शाता है कि मांग और आपूर्ति दोनों में संतुलित वृद्धि हुई है। निम्नलिखित तालिका इस वृद्धि को दर्शाती है:वित्त वर्षनिर्यात मूल्य ($ मिलियन)

यह डेटा दर्शाता है कि भारतीय केले की मांग वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है, विशेष रूप से मध्य पूर्व और मध्य एशिया में।
मध्य पूर्व और मध्य एशिया में मांग.
मध्य पूर्व भारत के केले के निर्यात का सबसे बड़ा बाजार रहा है। वित्त वर्ष 2025 में, इराक ने भारत के कुल केले निर्यात का 47% हिस्सा लिया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 108% की वृद्धि दर्शाता है। अन्य प्रमुख खरीदारों में ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ओमान, सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और कतर शामिल हैं।इसके अलावा, मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान ने भी भारतीय केले की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई। वित्त वर्ष 2025 में उज्बेकिस्तान को निर्यात दोगुना हो गया, जिससे यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा केला आयातक बन गया। शीर्ष आयातक देशों की हिस्सेदारी निम्नलिखित है
:• इराक: 47%
• उज्बेकिस्तान: 20%
• ईरान: 10%
• यूएई: 8%
• सऊदी अरब: 5%
• अन्य (ओमान, कुवैत, बहरीन, कतर): 10%मध्य पूर्व और मध्य एशिया में साल-दर-साल (YoY) निर्यात वृद्धि दर भी प्रभावशाली रही है:
• इराक: 108%
• उज्बेकिस्तान: 100%
• ईरान: 50%
• यूएई: 30%
• सऊदी अरब: 25%

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ये आंकड़े दर्शाते हैं कि इराक और उज्बेकिस्तान में भारतीय केले की मांग में सबसे अधिक वृद्धि हुई है।हालांकि केला शीर्ष पर रहा, अंगूर का निर्यात भी महत्वपूर्ण है। नीदरलैंड, रूस और यूनाइटेड किंगडम भारत के अंगूर निर्यात के 60% से अधिक हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे नए बाजारों में फल निर्यात को बढ़ाने के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित किया है।वित्त वर्ष 2025 में, भारत के कुल फल और मेवा निर्यात में 53% की वृद्धि हुई, जो वित्त वर्ष 2018 में $806.9 मिलियन से बढ़कर $1.24 बिलियन हो गया। इस दौरान केले और अंगूर का हिस्सा कुल फल निर्यात का 59.2% था, जो वित्त वर्ष 2018 में 44.4% था
केले के फायदे.
केले न केवल भारत के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, बल्कि उनके कई स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ भी हैं।
स्वास्थ्य लाभ
• पोषक तत्वों से भरपूर: केले में पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिन बी6 और फाइबर जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य, पाचन और ऊर्जा स्तर को बढ़ावा देते हैं।
• ऊर्जा का त्वरित स्रोत: प्राकृतिक शर्करा (ग्लूकोज, फ्रक्टोज, और सुक्रोज) के कारण केला एथलीटों और सक्रिय लोगों के लिए एक आदर्श नाश्ता है।
• पाचन में सुधार: केले में मौजूद फाइबर कब्ज को रोकने और आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
• तनाव और रक्तचाप नियंत्रण: पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित करता है, जबकि ट्रिप्टोफैन तनाव को कम करने में सहायक होता है।
आर्थिक लाभ
• किसानों के लिए आय का स्रोत: केले की खेती कम लागत और उच्च पैदावार के कारण छोटे और मध्यम किसानों के लिए लाभकारी है। निर्यात में वृद्धि से उनकी आय में सुधार हुआ है।
• रोजगार सृजन: केले की खेती, पैकेजिंग, और निर्यात से संबंधित गतिविधियां ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करती हैं।
• वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा: भारतीय केले की कम कीमत और उच्च गुणवत्ता ने इसे मध्य पूर्व और मध्य एशिया जैसे बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनाया है।
भविष्य की संभावनाएं
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत का फल निर्यात विविध और मजबूत हो रहा है। मध्य पूर्व और मध्य एशिया में बढ़ती मांग, साथ ही नए बाजारों में प्रवेश, भारत को वैश्विक फल निर्यात में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह गति बनी रही, तो भारत अगले कुछ वर्षों में और अधिक बाजार हिस्सेदारी हासिल कर सकता है।
निष्कर्ष
भारत का केला निर्यात वित्त वर्ष 2025 में एक नया कीर्तिमान स्थापित करने में सफल रहा। कम कीमत, बेहतर गुणवत्ता और मध्य पूर्व तथा मध्य एशिया में बढ़ती मांग ने इसे भारत का शीर्ष निर्यात फल बनाया। इसके स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ इसे और भी मूल्यवान बनाते हैं। जैसे-जैसे भारत नए बाजारों में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है, यह स्पष्ट है कि भारतीय केले वैश्विक मंच पर अपनी मिठास फैला रहे हैं।